रोज रोज सबके अपने खो रहे देखो ! दिल्ली शहर का क्या हो रहा। रोज रोज सबके अपने खो रहे देखो ! दिल्ली शहर का क्या हो रहा।
वरना चौखट मे तेरे भी दस्तक सी हो रही है। वरना चौखट मे तेरे भी दस्तक सी हो रही है।
एक बालक की जिज्ञासा है जिसमें वह अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपने अबोध मन को समझाने की कोशिश करता है... एक बालक की जिज्ञासा है जिसमें वह अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपने अबोध मन को समझ...
हां मैंने वक्त को थमते देखा है वक्त को वक्त के साथ लड़ते देखा है। हां मैंने वक्त को थमते देखा है वक्त को वक्त के साथ लड़ते देखा है।
हाँ मैं एक इन्द्रधनुषी हूँ, मैं थोड़ा अजीब हूँ। हाँ मैं एक इन्द्रधनुषी हूँ, मैं थोड़ा अजीब हूँ।
वीरान पड़ी उसी सड़क पे अब, केवल कुछ सिपाही डंडा लिए दिखता है। वीरान पड़ी उसी सड़क पे अब, केवल कुछ सिपाही डंडा लिए दिखता है।